Friday, August 25, 2006

किस्मत और संयोग

इंसान क्या बनता है, यह एक के बाद एक हुए संयोगों को ऊपर निर्भर है। अब आप इसे किस्मत कह लें या गणित, आपके ऊपर है। अब हर बार तो आप किस्मत को दोष नहीं दे सकते और न ही अपनी गणित की शान बघार सकते हैं।

बस ये नहीं समझ आता कि लोग ज्योतिषियों के चक्कर में पड़ते क्यों हैं। अगर आप मानते हैं कि भविष्य में क्या होना है वह पहले से ही तय है तो उसके बारे में जान के क्या हासिल होने वाला है, अगर आप सचमुच में मानते हैं कि जो होना है वह हो के ही रहेगा तो नपुंसकों की तरह बैठे रहें, भविष्य जानने का भी जहमत क्यों उठा रहे हैं।

बिल्कुल भी पल्ले नहीं पड़ी ये बात अपने मोटे दिमाग में। ज्योतिष को विज्ञान ठहराने की कोशिशें करते रहते हैं, आखिर रोजी रोटी का सवाल है और विज्ञान की धाक है। दूसरी ओर कहते हैं कि वैज्ञानिकों को कुछ अता पता थोड़ी है, कभी कहते हैं प्लूटो ग्रह है, फिर कहते हैं नहीं है। हमारी ज्योतिष तो हमेशा पक्की रहती है। इतनी पक्की रहती है तो विज्ञान साबित करने के पीछे क्यों पड़े हो।

हिंदुस्तान में दफ्तर में देर तक काम न करो तो साहब को संतुष्टि नहीं मिलती है, इतना ही नहीं, खुद को भी नहीं मिलती है। पता नहीं चक्कर क्या है। पता नहीं दिन के आखिरी दो घंटों में ऐसा क्या तीर मार लिया जाता है। दिन में तीन बार चाय पीने जाएँगे और डेढ़ घंटे खाना खाने में लगाएँगे, और उसके बाद शाम को दफ्तर से देर से निकलेंगे। अब इसमें दो चीजों का विरोधाभास है, एक यह कि काम समय से खत्म करो, दूसरा यह कि मेहनत करों, ज्यादा काम करो।

अगर मैं लड़की होता तो शायद सफेद रंग के और लाल रंग के कपड़े पहनना खूब पसंद करता। पता नहीं क्यों। और सजना धजना भी काफी पसंद करता।

7 comments:

लाल सिंह भाटी जैसलमेर राज. said...

प्रभु प्रणाम स्वीकार करे मेरा
एसा होता तो शायद इतना मान समान नहीं मिलता प्रभु नजाने कैसे घर मे पैदा होना पड़ता जो भी सोचा वह भगवान ने दिया है फिर आपने एसा कैसे सोचा है कुछ समझ से बाहर है हो सकता है किसी से यह बात आपने पहले पढ़ाई के समय बोला हो और अब फिर से याद करा रहे हो तो तो सही है प्रभु मे तो दो दिन से बलोग पे आया हूँ लेकिन आप तो 2006 से फिर यहाँ आए भी नहीं है किसी चीज को आप भुल नहीं सकते है फिर ये बलोग को कैसे भुल हो कोई बात तो होगी मुझे तो पता नही है फिर भी मे ये पोस्ट लिख रहा हूँ जब भी देखेगे तो भी चलेगा कोई खास काम कि तो है नहीं ये पोस्ट तो प्रभु मे बताना भुल गया कि मेने आप के अंग्रेजी बलोंग पे बहुत कोशिश कि जैसे कोई बड़ी पोस्ट लिखता तो वो आपने डबल डिप से गङबङ हो जाती थी वैसे दो तीन पोस्ट जमा हुई थी बाद मे परेशान हो गया था मुझे लगता था कि ये मोबाइल को तोङ दु फिर थोड़ा ठंडा हो जाता था प्रभु एक और बात है दूसरी पोस्ट लिखता हु
(आपके नव रत्न के लिए ) लाल सिंह जैसलमेर

लाल सिंह भाटी जैसाणा said...

अमिताभ जी सर मे कुछ नाम लिख रहा हूँ
पसद आए तो एक नाम चुने सर कुछ अलग है ये नाम सर ये नाम इसलिए है कि आपने कहा कि ये 9 वाँ बच्चन है तो मे तो कहता हूँ ये बच्चन भी है नवरत्न भी है इसलिए मेरा मानना है कि नाम मे रत्न लगाए तो मे सही कह रहा या गलत ये तो आप जानते है मे इतना ही कहता हूँ कि नवरत्न तो नव ही होता है आप को सब कुछ आपके माता श्री पिता श्री ने दिया है और भगवान ने ये रत्न दे दिया अब और क्या चाहिए है बस आप कि सेहत सही रहे मेरी भगवान से यही आरदास है तो अब नाम तो आप को बहुत मिलगे लेकिन रत्न जरूर लगाए 1 अनमोल रत्न
2 एवन रत्न 2 अरमान रत्न
3 अवकार रत्न 4 अवतार रत्न
5 अंनु रत्न तो ये तो 5 नाम है लेकिन रत्न सबद पसद आएगा तो इस दास को याद तो करना मेरे बारे मे भी एक पोस्ट लिखना है लेकिन आप इस बलोग पे आओगे तब जरूर लिखुगा बस कुछ नया लिखे ओर मे आया समझे बस आप का इंतजार है प्रभु एक शायरी तो लिख दे 8-) इस पत्थर के जहाज मे इंसान भी रहा करते है
उसे लोग शैतान भी कहा करते है
ढुढाँ है पर मिले नहीं उसे लोग अमिताभ बच्चन या सहसाह भी कहा करते है आपका आभारी लाल सिंह भाटी जैसलमेर प्रभु अगर गलती हो तो क्षमा करना

लालसिंह भाटी जैसलमेर said...

प्रभु प्रणाम आज ही आधी बातें बता दु प्रभु मे एक एसा बात कह रहा हूँ कि आपके रोगटे खङे हो जाएगे प्रभु बात जरा एसे हुई कि मे kbc देखता था किसी दूसरे के टीवी मे तो मे sms भी करता था जब टीवी देखता था उस दिन कभी कबार ही देखने को मिलता था लेकिन मोबाइल पे भी देखा लेकिन नेट बराबर नहीं चलता था तो नहीं देख पाता था फिर मेने दो तीन पोस्ट लिखा तो एक फोन आया कि आप kbc मे आना चाहते है तो मेने बोला हा आना है तो मुझे बोला ठिक है नाम पता बता दे हमारी टीम आपके यहाँ वीडियो करने आएगे तो मेने खुशी खुशी मे पता दे दिया फिर मुझे यह भी कहा की अमित जी आपको कठिन सवाल नही पुछेगे और कहा कि आप अच्छी तैयारी कर ले फिर तो मे इतना खुश हो गया कि मेरी नीद तक उङ गई चार दिन तक नीद तो आने का नाम तक नहीं पहले दिन फोन आया उस दिन तो कम से बीस लीटर पानी पी लिया फिर मेरी प्यास नहीं पुरी हुई मुझे यह बात की खुशी थी कि मे अनपढ़ होके भी केबीसी मे मेरा नबर लगा है फिर ओह मे बताना भूल गया कि मे काम छोड़ के घर चला गया मेरे सेठ को बोला कि मेरा केबीसी मे नबर आया है सेठ ने बोला कि नहीं होगा तु किसी के चक्कर मे मत जा फिर भी मेने जिद पकड़ ली मेने कहा की आप मुझे जान बुझ के भरमा रहे है और आप सोच रहे है कि कही ये पैसा कमा लेगा एसा तब सेठ बोला कि ठीक है तुम जा सकते हो तो मे घर चला गया फिर चार दिन का बोला था हम फोन करेंगे तो मेने चार दिन निकाला ये तो मे जानता हूँ या फिर भगवान जानते है बस बाद मे काम पे जाने मे भी सरम आ रही थी कि मे क्या बताऊंगा वहाँ जाने के बाद कि मेरा केबीसी मे नबर नहीं लगा फिर सोच कि मजुरी नहीं करेगा तो कैसे गुजारा होगा फिर काम पे तो आया तो सही लेकिन बहुत शर्म आई मुझे फिर अब तो बहुत मजाक करते है कि केबीसी मे जाना है तो मुझे बहुत शर्म आती मुझे कि मुझे किसी को पहले बताना नहीं था कि मेरे पास फोन आया था हा मेरा सेठ भी sms तो करते थे उनका भी नबर नहीं लगा फिर अच्छी बात ये है कि मुझे काम पे रख लिया नहीं तो बड़ा दुख होता मुझे
अब प्रभु आप ही सोचे कि मुझे कितना दुख हुआ है मे बता दु कि मे पढ़ाई तो नहीं कर सका लेकिन मुझे विश्वास है कि एक दिन आप फोन तो जरूर करेंगे और मे आप को मेरी कहानी बताऊंगा और मुझे बस आप से बात करना है और कुछ नहीं चाहिए प्रभु जब आप यह बलोंग पे आएगे तो आप मेरी बात पढ़ेगे तो शायद आपको भी दुख होगा
प्रभु माफ क्षमा करना मे अपने दिल को रोक नहीं सका इसलिए लिख दिया है आपका आभारी हूँ लाल सिंह भाटी 22/11/2011

लाल सिंह भाटी said...

अमिताभ जी आप पता नहीं कब यहाँ आयोग प्रभु एक बार तो लिख दो कुछ प्रभु टाइम निकाल दीजिए कैसे भी करके आपने कहा हिन्दुस्तान मे दफ्तर मे जितना काम जल्दी करेंगे इतना ही टाइम मिलेगा तो आप भी अपना काम जल्दी खतम कर दो और हमें भी शिक्षा दो

Unknown said...

वास्तव में किस्मत और संंयोग ही तो है वर्ना इस जहाँ में आप जैसे उदार व्यक्तित्व का प्रादुर्भाव ना
होता

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
Unknown said...

अमिताभ जी को नमस्कार