कुछ दोस्तों से बात हो रही थी - प्यार व्यार के बारे में। प्यार हो तो जाता है, फिर शादी भी हो जाती है, पर उसके बाद क्या होता है? मुझे याद है कि पहले मैं किस तरह रोज दोपहर तीन बजने का इंतजार करता था - या पाँच बजने का - अफसोस कि मुझे अब वह समय भी याद नहीं है। और जब फोन नहीं मिलता था था पसीने छूट जाते थे। होंठ सूख जाते थे, लगता था किसी बात का उसे बुरा न लग जाए। दिल धड़कता था, यह सोच के कि आज क्या बात होगी। पहले दिन रात एक दूसरे के बारे में ही सोचते रहते थे, लेकिन अब नहीं। क्या है यह और क्यों होता है यह, किसे पता। क्या उस उन्माद भरे प्यार को जिन्दगी भर जिन्दा रखा जा सकता है? शायद नहीं, लेकिन यह बदलाव कैसे आया। देखो जो बोओगे वही तो काटोगे न। कुल चौबीस घंटों में आराम से बारह घंटे का समय रिश्ते को बढ़ाने और आगे चलने में जाता था। अब उस पर कितना समय जाता है। अब तो पता है कि वह बगल में ही है, और नाक में दम भी कर रही है। क्या उतना समय मैं देता हूँ जितना पहले देता था, क्या उतने ही इरादे बनाता हूँ मैं उसे खुश करने के, क्या काम जल्दी खत्म कर के वापस आने के ख्वाब देखता हूँ, या फिर बस दुनिया के सामने अच्छा परिवार और अच्छे शौहर का नाटक करने लायक चीजें इकट्ठी भर करता हूँ? क्या मैं अब अपने आपको तैयार करता हूँ इस बात के लिए कि आज जया को मुझमें क्या नया दिखेगा, आज जया में मुझे नया क्या दिखेगा, वह तो बस मेरे बच्चों की माँ भर है, और दुनिया को दिखाने के लिए, साथ तस्वीर खींचने के लिए है। लेकिन एक वक्त था जब ऐसा नहीं था। मेरे से ज्यादा सफल वह खुद थी, मेरे से ज्यादा ख्वाब अपने घर के बारे में उसने खुद देखे, और मेरी सफलता का एक बहुत बड़ा राज वह खुद है। तो यह सब प्यार व्यार, क्या बस ढोंग है, नाटक है, प्रपंच है, जो बस खत्म हो जाएगा, बस खुदा का बच्चे पैदा करवाने के लिए एक चाल है, इसमें दोस्ती, प्यार, रिश्ते विश्ते की कोई अहमियत नहीं है?
पुराने दोस्तों की जब बात हो रही है, तो पुराने दोस्त मिलने पर जब बात करते हैं, और सवालात पूछते हैं तो ऐसा लगता है जैसे वह पुराने वाले अमिताभ से बात करने की कोशिश कर रहे हैं, साथ ही वह कहते हैं, बाल सफेद हो गए हैं, पतले हो गए हो, वगैरह। इंसान बदल जाता है फिर भी वह, वह ही रहता है, कोई और नहीं होता। क्या इंसान इस तरह अपने आप को धोखा देता है, वह एक जैसा हमेशा क्यों नहीं रहता, बदल क्यों जाता है, छोटा बदलाव ही सही। कभी कभी आप वही होते हैं, पर दोस्त बदल जाते हैं या उनका नजरिया बदल जाता है।
आजकल के लड़का लड़की शायद परिवार से ज्यादा दोस्तों में अपने आपको खोजते हैं, क्योंकि अब रिश्तेदार रहे ही कहाँ आस पास। जो हैं वह भी बतौर दोस्त ही एक दूसरे को ज्यादा जानते हैं, आपस में जो बातें करते हैं वह वैसी बातें अपने घर के अंदर नहीं कर सकते हैं। क्यों है ऐसा, क्यों हमारे परिवार इतने कठोर और इतने दुनिया से परे?
लोग मुझसे पूछते हैं कि मेरी सफलता का क्या राज है, मैं जैसा हूँ वैसा क्यों हूँ। तो राज तो कुछ भी नहीं है। मैं जैसा हूँ वैसा ही हूँ, और वह इसलिए हूँ कि मैंने दिक्कतें झेली हैं, जब दुनिया को लगता था कि मेरे पास सब कुछ है, तब भी मैंने दिक्कतें झेली हैं। इन दिक्कतों की अपनी खासियत यह है कि किसी को मुझसे सहानुभूति भी नहीं होगी, जो गरीब, असहाय हो उससे किसी को हमदर्दी होती है, लेकिन जो सफल है उसकी दिक्कतों में तो लोग और भाले भोंकना पसंद करते हैं, जैसे कि यह तुम्हारी सफलता का फल है - तुम्हें सब कुछ कैसे मिल सकता है - इसलिए तुम झेलो। इसलिए मैं अपनी दिक्कतों को जगजाहिर नहीं करना चाहता।
लड़कियों के साथ परेशानी यह है कि वह कुछ चाहती हैं, पर यह भी चाहती हैं कि वह चीज उन्हें चुपके से दे दी जाए, बिना माँगे, बिना इजहार किए। ठीक है हम भी यह खेल खेलेंगे, जब इतने खेल लिए हैं तो थोड़े और सही।
कुछ लोग बड़े हो कर भी बड़े नहीं होते। जिंदगी भर स्क्रिप्ट ही पढ़ते हैं, वही स्क्रिप्ट जो उनकी माँ, उनके बाप और उनके बच्चे या पति या पत्नी उन्हें देते हैं। ऐसी जिंदगी से तो मरना ही अच्छा है। अपने आप से अगर कुछ किया नहीं, लुढ़के नहीं, ठोकर नहीं खाई तो जिंदगी में किया क्या?
Sunday, August 27, 2006
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
6 comments:
bilkul mere andar ke dwesh ko suljhaa daalaa aapne.... ajkal ke mujhko badi shaanti mili aisa padh kar..behad touching aur experienced baat keh daali apne.
Sir jee , Aapki baatein g1 mai naye raah dikhayengi... yahe dikh raha hai mujhe...////
dost aapne dil ki baat sabdo me di aur dil bhar gaya sahi aaj dil ke gaharai me ja kar aaye duniya se bhatk te dil ko bhul gaye aaj fir mil gaye apki bate padh kar dil shant ho gaya ........Aarti Ghorpade
प्रभु का स्थान तो सुना पड़ा है पता नहीं कब आएगे मन के मे बस प्रभु प्रभु रटे जा रहे है कब तक मिलते है बस लोग बोलते है विश्वास रखना चाहिए कोई भी काम हो जाता है बस वही विश्वास है जो शायद धोखा नहीं देगा एक दिन जरूर मजिल मिल ही जाएगी विश्वास के साथ बस
प्रभु इंतजार है आपका तबीयत अच्छी रखे भगवान से यही दुआ करते है
प्रभु नववर्ष पर आपको हार्दिक बधाई देता हूँ लालसिंह भाटी जैसाणा
Post a Comment